दक्षिण भारत के लक्षणीय मंदिर! भलेही ही हम आज उत्तर भारत को भारत माता का शिर (head) कहते होंगे लेकिन दक्षिण भारत भारत भी कुछ कम नाही. आज हम दक्षिण भारत के अलग अलग मंदीरो के बारे मैं जानेंगे. क्या कारण ही की आज भी हमे दक्षिण भारत मैं इतने लक्षणीय मंदीर देखणेको मिलते है लेकिन उत्तर भारत मैं नही.
आपको अच्छे से समज मैं आये इसलिय हम मंदिर के साथ ऊस मंदिर का इतिहास भी जाणेंगे. कोणसे राजा ने कोणसा मंदिर किस समय बनवाया और ओ मंदीर आज भी वैसे के वैसे ही होणे के पिछे क्या राज है. दक्षिण भारत के लगभग सभी मंदिर काफी जादा पुराने सदी के हैं. प्राचीन सदी के होणे के कारण ये काफी जादा आक्षित करते हैं, इन मंदीरो की बनावट लाखो साल पुराणी हैं.
जैसें की कई ऐसे भि मंदिर हे जनको पुरा एक ही पथर को काटकर बनाया गया था. ऐसे मंदिरो को monolithic मंदिर काहा जाता है. जैसे की महाराष्ट्रा मैं अजेंठा की गुफाये, और दक्षिण भारत मैं महाबलिपूरम के मंदिर हमे मोनोलिथिक मंदीरो मैं गीने जाते हैं.
1) पद्मनाभस्वामी मंदिर :- Padmanabhaswamy Temple Trivandrum in hindi :-

पद्मनाभस्वामी मंदिर याह मंदिर दक्षिण भारत के केलरा राज्य के तिरुवनंतपुरम नामक जागाह पर स्थित है. यह मंदिर हिंदुओ केलीय दुनियामे सबसे जादा पवित्र स्थान माना जाता हैं. पद्मनाभस्वामी एक विष्णू भगवान के अवतार माने जाते है. यह मंदिर की वास्तुकला काफी जादा प्रभावी करती है.
कहा जाता है की यह वस्तू कला केरला वास्तुकला और तमिळ वास्तुकला एक सुंदर परिणाम है. इसी मंदिर को दक्षिण भारत का सोने का मंदिर ( The golden temple of south India) भी कहा जाता है. इतिहास यह कहता है की एक समय पेर इस मंदिर की दिवारे भी सोने से बनी हुही थी. यह मंदिर दक्षिण भारत का सबसे जादा संपत्ती राहणे वाला मंदिर हैं. मंदिर के अंदर की पुरी बनावट आज भी सोने से बानी हुही हैं.
इतिहास्कारोका मानना है की यह मंदिर 8 वि सदी मैं बणाया गाया था, उसके बाद अब 18 वि सदी मैं इस मंदिर के उपर फिर से काम किया गया. 18 वि सदी मैं इस मंदिर को त्रावणकोर महाराजा मार्तंड वर्मा के द्वारा ठीक किया गया था.
इस मंदिर की पुरी देखभाल आज 2011 तक वर्मा परिवार के द्वारा की जा रही थी लेकिन 2011 मैं केरला राज्य के उच्च न्यायालयने यह फैसला सुनाया की एक मंदिर पर किसि भी एक परिवार का हक्क नही होता. उसके बाद से मंदिर की पुरी संपत्ती सरकार के द्वारा संभाली जाणे लगी.
2) रामनाथस्वामी मंदिर – रामेश्वरम :- Ramanathaswamy Temple Rameshwaram information in hindi :-

रामनाथस्वामी यह भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, ईसलीय यह मंदिर हिंदु धर्मीयो का पवित्र स्थान माना जाता हैं. पुरे भारतवर्षे मैं 12 जोतिर्लिंग है यह मंदिर भी 12 ओ मैं एक पवित्र जोतिर्लिंग हैं. यह मंदिर का विस्तार 12 वि सदी मैं दक्षिण भारत के महान पांड्यां राजघराण्याद्वारे किया गया था.
क्या आपको पता है यह मंदिर भारत के सबसे विशाल मंदिरोमेसे एक हैं जिनका निर्माण राजा मुथुरामलिंगा सेतुपतियो द्वारा किया गया था. इतिहास मैं यह भी माना जाता है की इस मुर्ती स्थापना खुद भगवान श्री राम ने श्रीलंका प्रस्थान करणेसे पहले की थी.
प्रभु श्री राम को श्रीलंका जाणे से पहले भगवान शिवा की पुजा करणी थी इसलिय श्री राम ने हणूमान को हिमालय भेजा की ओ शिवलिंग लेके आये लकीन श्री हुनुमान समय पर नही आ पाये इसलिय देवी सीता ने समुंदर की रेत से शिवलिंग बणाया जो आज भी इस मंदिर मैं हैं. क्या आप जाणते हो रामेश्वरम का यह मंदिर हमारे 12 जोतिर्लिंग के अलावा चार धाम मैं से एक धाम भी हैं.
मंदिर के आसपास 64 पवित्र जलाशय हैं जिसमे भगवान शिव के तीर्थगमन स्नान आज भी करते हैं.
3)रंगनाथस्वामी मंदिर- त्रिची:- Ranganathaswamy Temple- Trichy information in hindi :-

दक्षिण भारत का एक और सदियो पुराणा मंदिर. यह मंदिर त्रिची मैं श्रीनिगम नाम की जगह पर स्थित हैं. यह मंदीर भगवान विष्णु का हैं जो हिंदु धर्म मैं भगवान शिव और श्रीकृष्ण के बाद सबसे बडे भगवान माने जाते हैं. इस मंदिर की वास्तुकला हिंदु धर्म वास्तुकला पर आधारित हैं.
आप जाणते हो क्या दक्षिण भारत का रंगनाथस्वामी मंदिर दिल्ली सल्तनत द्वारा नष्ट किया गया था, लेकिन बाद मैं 14 वि सदी समाप्त होते होते दक्षिण भारत के पांड्या राजावणे फिर से इस मंदिर का निर्माण किया. यह मंदिर 6 वि सदी तक का पुरणा हो शकता हैं इसके उपर जो तमिळ लिखावट मिली उसकी मदत से यह अंदाजा लागाया गया हैं.
सबसे पहली बार इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारत के महान राजा धर्म वर्मा चोला द्वारा किया गया था. समय समय पर इस मंदिर का पुरण निर्माण दक्षिण भारत के चोल, पांड्य, होयसाल, गजपति, नायक, विजयनगर इन राजाओ द्वारा किया गया था. दक्षिण भारत का कोई भी मंदिर एकी बारी मैं बणाया नही गया. हर एक मंदिर के पिछे बहोत सारे दक्षिण भारत के राजा हैं.
4) श्री वेंकटेश्वर मंदीर तिरुपति :- Sri Ventakeswara Temple Tirupati Information In Hindi :-

दक्षिण भारत मैं हमे लगभग सारे मंदिर हिंदु धर्म के मिलते हैं, क्युकी यहा लगभग सभी सादियो मैं हिंदु धर्म के राजा राज्य करते हुये हमे दिकायी देंगे, यही कारण हैं की दक्षिण भारत मैं सभीतर मंदिर हिंदु धर्म के पाये जाते हैं. श्री वेंकटेश्वर मंदीर भी एक हिंदु धर्म मंदिर हैं जो की आंद्र प्रदेश के तिरुपती नामक जगाह पर स्थित हैं.
इस मंदिर मैं भगवान वेंकटेश्वर पुजा धारणा की जाती हैं जो की भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं. इस मंदिर के इस नाम के अलावा भी ओर नाम हैं जैसे की तिरुमाला मंदिर, तिरुपति मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर. मंदिर की जैसे भगवान वेंकटेश्वर के भी अलग अलग नाम आपको सुननेको को मिलेंगे जैसे की बालाजी, गोविंदा, और श्रीनिवास.
सबसे पहली बार इस मंदिर को पल्लव रानी सामवई ने 966 CE मैं 23 एकड़ जमीन और कई सारे गहने भी दान किये थे. इस जमीन से जो भी पैसा कमाया जायेगा वह मंदिर के अलग अलग त्योहार मनाने मैं उपयोग किया जायेगा.
🔸 पृथ्वीराज चव्हाण के बारे मैं यहा पढे :-
🔸Popular FAQ :-
1) दक्षिण भारत मैं इतने जादा हिंदु मंदिर कु होते हैं? Why There Is To Much Hindu Temples In South Indian?
अगर हम दक्षिण भारत का इतिहास पढे तो हम समज मैं आयोगा की दक्षिण भारत मैं जिस भी राजा ने राज किया वह हिंदु था, जैसे की चोला, पंड्या, विजयनगर राज्य, यह सभी हिंदु थें ईसलीय दक्षिण भारत मैं सबसे जादा हिंदु मंदीर पाये जाते हैं.
2) उत्तर भारत मैं दक्षिण भारत जैसे मंदिर क्यु नही नजर आते ? Why There Is No Temple In North Indian Like South India?
हमने देखा है की दक्षिण भारत मैं राज्य करणे वाले राजा जादा तर हिन्दु धर्मीय थे, ऐसी वजेसी दक्षिण भारत मैं हिन्दी मंदिर जादा हैं. इसी के विपरित कुच समय छोड दिया जाय तो उत्तर भारत मैं जादा तर मुघल राजा थे जो की विदेशी थे. विदेशी राजा होणे के कारण वह सारे मंदिर तोड कर मंदिर की संपत्ती लुट कर ले जाते थे, ईसलीय हमे उत्तर भारत मैं दक्षिण भारत से कम इतिहासिक मंदिर देखणेको मिलते हैं.